आज के अपने पोस्ट में Amplifier Kya Hota hai / amplifier kya hai के विषय में सम्पूर्ण जानकरी देंगे ।अपने इस पोस्ट में इसके प्रकार कितने होते है , ये क्या होता है ? के बारे में भी सभी जानकारी देंगे ।
आपने भी Amplifier का नाम बहुत बार सुन होगा लेकिन ऐसा भी हो सकता है आपको इसके बारे मे अच्छी तरह से नहीं जानते हो, अगर आप भी Amplifier के बारे मे जानना चाहते है तो ,आपको आज इस Article मे Amplifier मे बारे मे विस्तार से जानकारी प्रदान की जाएगी। जिससे की आप भी जान जायेगे की Amplifier क्या होता है?
Table of Contents
Amplifier in Hindi – Amplifier Kya Hota Hai
एम्पलीफायर क्या होता है ?-Amplifier जो की एक Electronic Device होता है जिसका मुख्य कार्य Signal की क्षमता (Strength) को बढ़ा कर देना होता है । यह डिवाइस Two Port इलेक्ट्रॉनिक सर्किट (Electronic Circuit) ही होता है जो की Power Supply से Electronic Power का इस्तेमाल करके Signal के Amplitude को ही बढ़ा देता है ।
यह Power Supply से Electronic Power को लेकर उस Power को Signal के Input terminal पर Use करता है जिससे Input की तुलना मे ज्यादा Amplitude का Signal हमे Output मे प्राप्त होता है।
किसी भी एक Amplifier के द्वारा जो Amplification(प्रवर्धन) की मात्रा को हम Gain मे मापते है। Gain उस इनपुट को दिए जाने वाले Output, Voltage और Current या Power का अनुपात होता है। Amplifier जो की एक ऐसा Circuit होता है जिसका Power Gain एक से अधिक हो सकता है।
किसी भी एक Amplifier की बात करे तो यह या तो किसी इक्विपमेंट के लिए Separate Piece का भी हो सकता है । एम्पलीफायर पहले से ही किसी अन्य Equipment के अंदर भी fit हो सकता है।
Amplifier का इतिहास – amplifier ka naam kya hai
साल 1906 में Lee De फारेस्ट ने एक Triode Vacuum Tube का निर्माण किया था , Triode Vacuum Tube कारण ही एम्पलीफायर को आगे चल कर डेवेलोप किया गया था ।
वर्ष 1970 के दशक तक एम्पलीफायर में वैक्यूम tube का ही इस्तेमाल किया जाता था , जिसके पीछे का मुख्य कारण ट्रान्सइटर के निर्माण का नहीं होना था । Transistor के निर्माण होने के बाद , वैक्यूम tube की जगह Transistor ने ली लिया । लेकिन आज भी कुछ ऐसे एम्पलीफायर है जिसमे वैक्यूम tube का ही इस्तेमाल होता है ।
Principle of Amplifier in Hindi – Amplifier Kya Hota Hai
Amplifier Kya Hota Hai , यह एक two पोर्ट इलेक्ट्रिकल डिवाइस होता है, जो की एक सिग्नल के वोल्टेज और धारा को बढ़ा देता है , साधारण भाषा में कहे तो एम्पलीफायर सिग्नल की स्ट्रेंथ को बढ़ा देता है । इसका मुख्य कार्य किसी भी कमजोर सिग्नल स्ट्रैंग्थ को स्ट्रांग सिग्नल स्ट्रैंथ में बदलना होता है ।
यह डिवाइस two- पोर्ट इलेक्ट्रॉनिक्स सर्किट डिवाइस होता है जिसमे इलेक्ट्रिकल पावर का उपयोग सिग्नल के amplitude को बढ़ाने के लिए करते है , जिस कारण हमें आउटपुट में अधिक बढ़ा हुआ सिग्नल प्राप्त होता है ।
Types of Amplifiers in Hindi – एंपलीफायर कितने प्रकार के होते हैं
एम्पलीफायर के प्रकार के बारे में जानते है की ये कितने प्रकार का होता है । मुख्य रूप से चार प्रकार के होते है । अब उनके बारे में जानते है ।
1- Current Amplifiers 2- Voltage Amplifiers 3- Transconductance Amplifier 4- Trans resistance Amplifier
Current amplifier
current amplifier इसके नाम से ही मालूम हो रहा है की ये एम्पलीफायर इनपुट सिग्नल के करंट को एम्पलीफी करता है ।
Voltage Amplifiers
इस एम्पलीफायर का इस्तेमाल इनपुट सिग्नल के वोल्टेज को बढ़ाने के लिए होता है । इसका मुख्य रूप से उपयोग इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस में होता है ।
Transconductance Amplifier
इस तरह के Amplifiers में Input Voltage के अनुसार output current मे परिवर्तन होता है।
Trans resistance Amplifier
इस तरह के Amplifiers में इनपुट करंट के बदलाव के अनुसार आउटपुट करंट में बदलाव होता है । इस तरह के एम्पलीफायर को current to voltage convertor भी कहते है ।
इसके अलावा भी उनके अनुप्रयोग के और उनके विशषतावो के आधार पर भी एम्पलीफायर को बाटा जाता है । चलिए इनको भी जानते है ।
Power Amplifiers
Power Amplifiers का मुख्य उद्देश्य पावर को बढ़ाना होता है । इस तरह का एम्पलीफायर जो की पावर के magnitude को बढ़ा दे पावर एम्पलीफायर कहलाता है । जैसे की स्पीकर , हैडफ़ोन इत्यादि ।
Operational Amplifiers
यह एक तरह का IC होता है , जो की वोलटेज एम्पलीफेर की तरह की कार्य करता है , इस तरह के एम्पलीफायर का उपयोग कपैसिटर & रेसिस्टर में अधिक होता है । इस तरह के एम्पलीफायर में 3 तरह के टर्मिनल होते है , जो की 2 टर्मिनल इनपुट के लिए और एक टर्मिनल आउटपुट के लिए इस्तेमाल होते है । इस तरह के एम्पलीफायर का इनपुट impedance बहुत ही अधिक होता है । इस तरह के एम्पलीफायर का आउटपुट impedance बहुत ही कम होता है ।
Vacuum Tube Amplifiers
इस तरह के एम्पलीफायर में पावर को बढ़ाने के लिए Vacuum Tube का इस्तेमाल होता है । Vacuum Tube के इस्तेमाल के कारण इसमें Vacuum Tube Amplifiers कहते है ।
Distributed Amplifiers
इस तरह का एम्पलीफायर जिसका इस्तेमाल Transmission Lines में किया जाता है ,इस एम्पलीफायर के इस्तेमाल करके Input को Temporarily Split करता है और प्रत्येक Segment को Amplify करता है Distributed Amplifier कहलाता है।
Transistor Amplifier
इस तरह के एम्पलीफायर का इस्तेमाल सिग्नल को बूस्ट करने के लिए किया जाता है , इनका इस्तेमाल radio frequency , audio , & ofc में होता है ।
Klystron
यह एक प्रकार का लीनियर बीम वैक्यूम tube होता है । इसका मुख्य उपयोग उच्च रेडियो frequency को बूस्ट करने के लिए किया जाता है ।
Instrument Amplifier
इस तरह के एम्पलीफायर का मुख्य रूप से उपयोग साउंड को बूस्ट करने के लिए किया जाता है । इस तरह के एम्पलीफायर का इस्तेमाल Musical इंस्ट्रूमेंट्स में होता है ।
Video amplifier
इस तरह के एम्पलीफायर का उपयोग वीडियो की क्वालिटी को बढ़ाने के लिए किया जाता है ।
Characteristics of amplifier in Hindi
एम्पलीफायर की quality को कुछ specification के अनुसार ही मापा जाता है ।
1- Bandwidth 2- Noise 3- Skew rate 4- Gain 5- Stability 6- Efficiency
Types of power amplifiers in hindi-एंपलीफायर कितने प्रकार के होते हैं
Class A power Amplifier विशेषतायें निम्नलिखित होता है। 1-इसका डिजाईन सरल होता है। 2-इसमें low signal distortion levels होता है। 3-यह stable होता है। 4-इसमें उच्चतम linearity होता है।
Class B power amplifier विशेषतायें निम्नलिखित होता है। 1-यह दो transistors का प्रयोग करता है एक positive cycle के लिए तथा दूसरा negative cycle के लिए है। 2-इसमें efficiency अधिक है। 3-इसमें heat output बहुत कम होता है। 4-यह stable & reliable है। 5-यह 0.7v से conduct होना शुरू हो जाता है। 6-इसमें दो half cycles से एक पूरी cycle बनती है।
Class AB power amplifiers विशेषतायें निम्नलिखित होता है। 1-इसमें दो transistors एक साथ कार्य करते है। 2-इसमें class A तथा class B दोनों की विशेषतायें होता है। 3-यह 50-60% तक efficient होता है।
Class C power amplifiers विशेषतायें निम्नलिखित होता है। 1-यह सबसे कम linear होता है। 2-यह सबसे ज्यादा efficient होता है।(लगभग 80-90%) 3-इसमें high output distortion होता है। 4-इनमे दो operating modes होते है ।.- tuned & untuned 5-इसमें शक्ति का नुकसान कम होता है ।
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